दिलीप सांघवी, आनंद महिंद्रा और कुमार मंगलम बिड़ला जैसे उद्योगपतियों की कंपनियों ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम से हाथ खींचे

डिजिटल पेमेंट सेगमेंट में अगर ऐसा कोई देश है जहां इसमें बड़ी कंपनियां खड़ी की जा सकती हैं तो इसमें भारत का नाम सबसे ऊपर है। 140 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में आज भी 70 फीसदी लेनदेन कैश में होता है। उपभोक्ता पेमेंट के लिए आरबीआई ने 2014 में नए प्रकार के बैंकों का गठन किया और इसमें देश के दिग्गज उद्योगपतियों ने निवेश किया लेकिन अब वे अपने कदम पीछे हटा रहे हैं।


इंटरनेट मोबाइल और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए उस समय लाइसेंस लेने वाली पांच फर्मों ने या तो ऑपरेशन बंद कर दिया है या फिर निवेश रोक दिया है। इनमें से तीन को देश के प्रमुख बिजनेसमैन से फंडिंग मिली थी। बहुत अधिक निवेश को देखते हुए दिलीप सांघवी ने अपने पेमेंट बैंक को शुरू होने से पहले ही रोक दिया है। क्रेडिट सुईस की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 तक यह बाजार एक लाख करोड़ रुपए का होगा। केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक डिजिटल पेमेंट कंपनियों को प्रॉफिट में आने के लिए कम से कम तीन साल का समय लगेगा।


मौजूदा समय में देश में 90 के आस-पास कंपनियां इसमें काम कर रही हैं। आने वाले समय में इनमें से ही कुछ के ही बचने का अनुमान है। इस पर एफआईएस ग्रुप के बैंकिंग और पेमेंट के डायरेक्टर रामास्वामी वेंकटचलम का कहना है कि भारतीय कंपनियां बंदूक की लड़ाई को चाकू से जीतने की कोशिश कर रही हैं।


मुकेश अंबानी की कंपनी भी टेस्टिंग कर रही; गूगल, वॉलमार्ट और फेसबुक से मुकाबला




  1. प्रॉफिट में आने के लिए कई वित्तीय सेवाएं देनी होंगी


     


    विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनियों को उपभोक्ताओं को आकर्षित करने और प्रॉफिट के लिए उन्हें दूसरे वित्तीय उत्पादों की सेवाएं शुरू करनी पड़ेगी। फिलहाल अधिकतर कंपनियों को इसमें नुकसान उठाना पड़ रहा है। 31 मार्च को घोषित परिणामों में फोन पे और अमेजन पे ने कुल मिलाकर 3,000 करोड़ रुपए का नुकसान दिखाया है। हालांकि एक साल पहले 20.7 करोड़ रुपए का नुकसान दिखाने वाली पेटीएम ने 19 करोड़ का प्रॉफिट दिखाया है।


     




  2. रेजर-पे पर ट्रांजेक्शन में गूगल पे की हिस्सेदारी 61%


     


    बाजार का पूरा डेटा अभी निकालना मुश्किल है, लेकिन रेजर-पे के आंकड़ों के अनुसार यूपीआई पर उसके प्लेटफॉर्म के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन में 61 फीसदी हिस्सेदारी के साथ गूगल पे सबसे ऊपर है। 24 फीसदी लेनदेन फोनपे के जरिए हुआ तो पेटीएम के जरिए महज 6 फीसदी का ट्रांजेक्शन हुआ। हालांकि गूगल ने अपने इंडिया पेमेंट बिजनेस की विस्तृत वित्तीय जानकारी नहीं दी, लेकिन सीईओ सुंदर पिचाई का कहना है कि भारत उनकी रणनीति में अहम स्थान रखता है।


     




  3. गूगल की ब्रांड वैल्यू भारत के बैंकों से ज्यादा


     


    गूगल ने कारोबार शुरू करने के लिए लाइसेंस लेने के बजाय परंपरागत कर्जदाताओं के साथ गठजोड़ करने की रणनीति बनाई। रिसर्च फर्म फॉरेस्टर के अनुसार भारत में गूगल की ब्रांड वैल्यू देश के बैंकों से भी ज्यादा है। आदित्य बिड़ला पेमेंट्स बैंक नुकसान के कारण जुलाई में बंद हो गया। टेक महिंद्रा पेमेंट्स बैंक ने शुरू करने से पहले ही लाइसेंस सरेंडर कर दिया। हालांकि मुकेश अंबानी की कंपनी पेमेंट सेवाओं को शुरू करने के लिए टेस्टिंग कर रही है। कंपनी को गूगल, वॉलमार्ट और फेसबुक से मुकाबला करना होगा।