शरणार्थी

जब शरणार्थी शब्द सुनता हूँ तो समझ नहीं आता की कांग्रेस के उन नेताओं को मुर्ख कहूँ या चालाक, जिन्होंने बंटवारे के वक़्त पाकिस्तान से आए हिन्दुस्तानियों को शरणार्थी माना।


कौन होते हैं शरणार्थी? जो दूसरे के देश/घर में शरण लें।


1947 देश आज़ाद हुआ, किसी को इस्लामिक राष्ट्र चाहिए था इसलिए भारत के 2 टुकड़े होते हैं और भारत के एक हिस्से को इस्लामिक राष्ट्र बनाने के लिए दे दिया जाता है।


लाहौर, कराची, सियालकोट में बसे हुए हिन्दू लोग पल भर में अपनी ज़मीन घर, जायदाद छोड़कर आज के भारत में शरणार्थी बनने पर मजबूर कर दिए जातें है, क्यों?


क्योंकि किसी को इस्लामिक राष्ट्र चाहिए था।


इस्लामिक राष्ट्र किसी को चाहिए था, लकीर किसी ने खींची और शरणार्थी बने हिन्दू-सिख। है न गज़ब?


वो कैसे शरणार्थी हुए, उनको शरणार्थी क्यों कहा गया? वो भारत के ही थे, वो तो आपने चालाकी से पाकिस्तान बना दिया और कीमत उन दूसरे धर्म के लोगों को चुकानी पड़ी।


बंटवारे के दंगो के बीच भारत भगाये गए हिन्दू, न जाने कैसे कैसे हालातों का सामना कर भारत पहुंचे थे, उनके ज़ख्मों पर मरहम लगाने की जगह रिफ्यूजी बना कर नागरिकता के लिए 70 साल लटका कर रखा, यह भारत के सेक्युलरिज़्म का कमाल था।


जम्मू कश्मीर में ऐसे लाखों हिन्दू हैं जिनको जो बंटवारे के बाद से नागरिकता मिलने का इंतज़ार कर रहें हैं, लेकिन 70 साल में उन्हें नागरिकता नहीं मिली, लेकिन कल के आए अदनान सामी भारतीय हो गए।


बाकि आपके सवाल का सीधा स्पष्ट जवाब देश के गृह मंत्री ने दिया है, यदि पाकिस्तान, बांग्लादेश किसी को हिन्दू-सिख-बौद्ध होने के लिए प्रताड़ित कर सकते हैं तो भारत भी उन्हें हिन्दू-सिख-बौद्ध होने के लिए नागरिकता दे सकता है।


क्या भारत सरकार को सिर्फ इसलिए पाकिस्तान के माइनॉरिटीज की बात नहीं करनी चाहिए की इस से वो सेक्युलर नहीं दिखेंगे?


बीजेपी को बहुत-बहुत बधाई जो देश को ऐसा गृह मंत्री दिया जो बिना किसी भय के न्याय की बात करते हैं, गर्व हैं उन पर।


साथ में अब इसमें किसी को संदेह नहीं होनी चाहिए कौन सी पार्टी हिन्दू विरोधी है।


साभार


बधाई हो गृह मंत्री अमित भाई शाह जी, राष्ट्र का नेतृत्व आप के हाथों भी सुशोभित हो कामना है।