ग्रहाणां च यथा सूर्यो नक्षत्राणां यथा शशी ।
तीर्थानामुत्तमं तीर्थ प्रयागाख्यमनुत्तमम् ।।
माघ मकरगत रवि जब होई ।
तीरथ पतिहिं आव सब कोई ।।
देव-दनुज किन्नर नर श्रेनी ।
सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनी ।।
पूजहिं माधव पद जल जाता ।
परसि अछैवट हरषहिं गाता ।।
भरद्वाज आश्रम अति पावन ।
परम रम्य मुनिवर मन भावन ।।
तहां होइ मुनि रिसय समाजा ।
जाहिं जे मज्जन तीरथ राजा ।।
को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ
कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ ।।
अस तीरथपति देखि सुहावा
सुख सागर रघुबर सुख पावा ।।
मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर आपको परिवार सहित बहुत-बहुत शुभकामनाएं ।।