Ramcharitmanas

सारद सेष महेस बिधि आगम निगम पुरान।
नेति नेति कहि जासु गुन करहिं निरन्तर गान।।
 ।श्रीरामचरितमानस।
श्रीसरस्वतीजी,श्रीशेषजी,श्रीशिवजी,श्रीब्रह्माजी,
वेद,शास्त्र और पुराण ये सभी नेति नेति कहकर सदा जिनका गुणगान किया करते हैं,वे ही प्रभुश्री रामजी सबके स्वामी हैं।
।।जय सियाराम जय जय सियाराम।।
  भावार्थः---
  नेति अर्थात न इति,इतना ही नहीं।इस दोहे में गो0जी ने प्रभुश्री रामजी के गुणों का गान करने वालों में प्रमुख सात नाम कहे हैं।पृथ्वी पर सात महाद्वीप,सात महासागर,सप्तऋषि हैं।भारतवर्ष में सात प्रमुख पर्वत हैं,जिनमें उदयाचल, अस्ताचल,कैलाशपर्वत, मन्दराचल,सुमेरुपर्वत,
हिमालय व विंध्याचल हैं।ये सभी पर्वत देवताओं के रहने के स्थान कहे जाते हैं।यथा,,,
उदय अस्त गिरि अरु कैलासू।
मंदर मेरु सकल सुरबासू।।
सैल हिमाचल आदिक जेते।
चित्रकूट जसु गावहिं तेते।।
बिंधि मुदित मन सुखु न समाई।
श्रम बिनु बिपुल बड़ाई पाई।।
  प्रभुश्री रामजी को विभिन्न स्थानों पर नेति नेति कहा गया है।अर्थात वे पूर्णरूपेण किसी के द्वारा नहीं जाने जा सकते हैं।भगवान शिवजी ने भी माता सती को यही बात बतायी थी जब भगवान शिवजी ने प्रभुश्री राम को सच्चिदानंद कहकर प्रणाम किया था और माता सतीजी को भ्रम हो गया था।यथा,,,
मुनि धीर जोगी सिद्ध संतत बिमल मन जेहि ध्यावहीं।
कहि नेति निगम पुरान आगम जासु कीरति गावहीं।
सोइ राम ब्यापक ब्रह्म भुवन निकाय पति माया धनी।
अवतरेउ अपने भगत हित निजतंत्र नित रघुकुलमनी।।
।।जय राधा माधव जय कुञ्जबिहारी।।
।।जय गोपीजनबल्लभ जय गिरिवरधारी।।