Rajniti mein bahut kacche

साभार..#आप_लोग_राजनीति_समझने_में_बहुत
_कच्चे_हो
पॉलिटिक्स का अर्थ; अपनी सत्ता स्थापित करके अपने अनुसार राज्य (राष्ट्र) की नीति तय करना होता है।
उदाहरण के लिए- जहां... कांग्रेस को राजद्रोह कानून हटाना था, अफ्सपा हटानी थी, अर्बन नक्सल को फ्री हैंड देना था, हिंदुओं को आतंकी बताना था।
जबकि भाजपा को अर्बन नक्सली के साथ ही कांग्रेस की देश लूटने और तोड़ने वाली नीति खत्म करनी है, 370 हटाना था, राम मंदिर बनाना था, अब CAA के बाद NRC, UCC, धर्मांतरण रोकना, जनसंख्या नियंत्रण करना है।
अर्थव्यवस्था, रक्षा और विदेश नीति तो सामान्य अवयव (Common factor) होते हैं, जिसमे आप तुलनात्मक अध्धयन करते हो कि इनमें किसने सार्थक कार्य किया, जिसमें भी भाजपा ही आगे है।
अब ऐसे में तुम लोग, जो ये चूड़ियां तोड़ते हो कि इसे क्यों लाये ? उसे क्यों रखा हुआ है ? तो कृपा करके अपना ज्ञान बढ़ाइए... इतने बड़े हो गए हो लेकिन लकीर के फकीर बनकर, बिना कुछ नया सीखे, वही बात दोहराते रहते हो।
सोशल मीडिया पर ही पिछले 5 वर्ष में इतना कुछ सीखने को मिल चुका है कि एक गैर-राजनीतिक व्यक्ति भी यदि सीखने बैठता, तो स्वयं को लस्सी-मट्ठा समझने वालों से ज्यादा ज्ञान अर्जित कर सकता था।
बहरहाल...
ये राजनीति में इधर-उधर आना जाना आज से नहीं हो रहा है, सहस्त्राब्दियों से है... आधुनिक समय की बात भी करें तो वर्तमान में जो हमारे सबसे बड़े शत्रु अर्थात अर्बन नक्सली उर्फ वामपंथी हैं, तो याद करो कि जब द्वितीय महायुद्ध शुरू हुआ तो जब तक हिटलर और स्टालिन का समझौता था, तब तक यह लोग भारत में कांग्रेस के साथ भारत छोड़ो कर कर, अंग्रेजो के खिलाफ नारे लगा रहे थे... लेकिन जैसे ही हिटलर ने रूस पर हमला किया, तुरन्त हिटलर विलन हो गया और अब यह भारत में अंग्रेजो की तरफ होकर कांग्रेस की मदद करने लगे थे... उसी गुस्से में इन्होंने नेताजी सुभाष बोस को तोजो का कुत्ता तक कह दिया था।
बाद में नेहरू की सत्ता पलटने से लेकर चीन युद्ध से लेकर इंदिरा से समझौता से लेकर बंगाल जैसे राज्यों में कांग्रेस विरुद्ध लड़ने के साथ साथ आज भी यह लोग केरल में कांग्रेस के विरुद्ध रहते हैं, लेकिन ये ही अर्बन नक्सली दिल्ली में आकर किसी खान मार्किट में बैठकर या 10 वर्ष तक सोनिया की किचन केबिनेट जिसे NAC कहते हैं, में बैठकर हिंदुओं और भाजपा के खिलाफ कैसे षड्यन्त्र रचने हैं ? उसपर काम कर रहे होते थे/हैं।
यह केवल अर्बन नक्सल गिरोह का उदाहरण है और इतना ही किसी को समझाने को काफी है कि राजनीति में किस तरह काम होते हैं... किस तरह समझौते, सांठगांठ बनाकर काम होता है... इसलिए यह बचपना बन्द कर दो कि ऐसा क्यों ? या वैसा क्यों ? बात केवल इतनी सी है कि अपने हाथ मे लिए कार्यों को पूरा करना है... जो उसमें साथ देगा वो हमारा और जो न दे वो हमारा शत्रु... यह विशुद्ध अर्बन नक्सली फार्मूला है।
उन्हें अपने उद्देश्य के लिए शिव सेना से परहेज नहीं, जिस अरुण शौरी ने उन्हें सबसे ज्यादा नँगा किया, उन्हें उससे परहेज नहीं, किसी मनमोहन और सोनिया को गाली देने वाले सिद्धू से परहेज नहीं, किसी शत्रुघ्न या यशवंत सिन्हा से परहेज नहीं तो ऐसे शत्रुओं को हराने के लिए, उनका सर्वनाश करने के लिए हमें ही क्यों नैतिकता की चुल्ल है ?
भगवान राम का त्रेतायुग का आदर्श यदि द्वापरयुग में काम आता, तो भगवान कृष्ण को अपने आदर्श लेकर क्यों आना पड़ता ? और हमारा इसी तरह का निहत्थे को वार नहीं करना, रात में वार नहीं करना, मन्दिर और गाय पर वार नहीं करना आदर्श काम करता तो 1000 वर्ष भिन्न भिन्न विदेशी आक्रांता हम पर ऐसे ही शासन नहीं करते।
इसलिए कहता हूँ कि स्वयं पर कृपा करके राजनीति सीखिए... जो लोग
#मिशन_50 % पर लगे हैं और हम जाने अनजाने उसके मिशन पर चोट कर रहे होते हैं।..